याद रहा है प्रतिपल मुझको दीपों सा बुझ-बुझ जलना।
मुस्कानों की शक्ति सघनतम अपने पास अपरिमित है
अश्रु! अश्रु से भी क्या जिनकी क्षणभर उम्र कदाचित है।
कितने उल्कापिण्ड गिरे इस शस्यश्यामला बसुधा पर
सदा अपेक्षित रहा किन्तु वह बूँदों का टिप-टिप गिरना।
याद रहा है प्रतिपल मुझको दीपों सा बुझ-बुझ जलना।..
मृत-मृग चर्म भस्म कर देती फूँक-फूँक फौलाद कठिन
सन्मुख जीवित स्वाँस ऊष्म के बाधा कौंन खड़ी हो तन।
कितने ही नग सीना ताने अड़े रहे अपनी हठ पर
विजयी हुआ किंतु माँझी का ले कुदाल कण-कण लड़ना।
याद रहा है प्रतिपल मुझको दीपों सा बुझ-बुझ जलना।..
संकल्पों के दृढ घेरे से कौन अलभ मंजिल होगी
कूदा वही सिंधु में जिसको प्राणों से ऊपर मोती।
आत्म-मुग्ध तो अम्बर भी था अपनी अगणित ऊँचाई पर
किंतु सीखकर ही माने हम पंख लगा फर-फर उड़ना।
याद रहा है प्रतिपल मुझको दीपों सा बुझ-बुझ जलना।...
©️सुकुमार सुनील
14 टिप्पणियां:
Sabhi kavitayen bht hi acchi likhi gayi hain.....ye bhi unke se ek hai.....bht hi sunder kavya rachna
Awesome
बहुत-बहुत हार्दिक आभार व अभिनंदन आदरणीया 🙏 🙏 🙏
बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद व आभार 🙏🙏🙏🙏
Bahut hi accha Geet hai bhaiya ji
बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद भैय्या 🙏🙏🙏🙏
Hm sb bahut saubhagyashali h jo hme aapki kavita pdne ka avsar milta h. Or mai aasha krunga ki ye saubhagya hme aise hi milta rhe...
अपनों यही अपनत्व और उत्साहवर्धन मेरी ऊर्जा है। बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद नमन 🙏 🙏 🙏 🙏 आपको
अपनों यही अपनत्व और उत्साहवर्धन मेरी ऊर्जा है। बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद नमन 🙏 🙏 🙏 🙏 आपको
बहुत-बहुत हार्दिक आभार 🙏 😊
एक से एक अद्भुत रचनाएं...👌👌 आपकी इस अद्भुत अद्वितीय कला को नमन🙏
आपकी पारखी दृष्टि को प्रणाम 🙏 बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद व आभार आदरणीय 😊 🙏 🙏 🙏 🙏
Bahut Sundar lines 👌👌💐💐
Bahut Shandar lines
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