सदा स्वयं पर निर्भर रहकर जीना सीखा है
हमने हर इक कटु प्याले को पीना सीखा है।
यहाँ समस्याओं ने निशि-दिन डेरा डाला है
पर हमने साहस से बढ़कर इनको टाला है।
कोई व्याधि विसंगति कब सन्मुख टिक पाई है?
हर एक समर विजयी होंगे सौगंध उठाई है।
सच के पथ पर अपनी धुन में चलने हेतु सदा
नशा जोश का करना भीना-भीना सीखा है। हमने...
कितनी बार मृत्यु ने आकर जंघा पीटी है
सारे शाश्वत चिन्ह मिटाने रेखा खींची है।
पर सावित्री के वंशज यम से भी लड़ते हैं
हर एक असंभव को संभव करने चल पड़ते हैं।
स्वयं काल को बाँध कलाई में कर आभूषण
हर युग के मस्तक पर जड़ना मीना सीखा है। हमने...
हमने अंतरिक्ष भेदा है सागर लाँघे हैं
वायु पटल पर बिना डिगे हम सरपट भागे हैं।
बिना अस्त्र के भी लड़ लेते हम दुश्मन से युद्ध
किंतु प्रेम के सन्मुख नतसिर हम हैं शुद्ध प्रबुद्ध।
छल से विलग रहेंगे तन-मन प्राणों का प्रण है
परिश्रम में करना इक खून-पसीना सीखा है। हमने...
©️ सुकुमार सुनील
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