कश्मीर की केसर क्यारी की कलिका से विकसित गंध मधुर
लद्दाख-लेह श्वेताभ-शिखर प्रसरित कर आभा रजत प्रचुर।
हिम-आँचल की छवि छटा प्रवर प्रकृति-पूरित शुभ स्वप्नलोक
पंजाब की धानी चूनर की शक्ति को सकता कौन रोक।
चंडीगढ़ चंड़ी रूप धरे शुचिता से पूरित सरल विमल, यह आर्यभूमि का भाल तिलक
उठकर बैठो आँखें खोलो जागो देखो नव भारत है, देखो यह स्वर्णिम भारत है।
हर्यांगण का बल तेज विपुल दिल्ली का दिल है बहुत बड़ा
कल-कल करतीं गंगा-यमुना देवत्व संजोए देवधरा।
हों राम कृष्ण या देव बुद्ध अवतरण भूमि उत्तर प्रदेश
उर पर धारे अपना बिहार नालंदा के शुभ चिह्न शेष।
वक्षस्थल जिसका खनिज लोक अभ्रक का स्वामी झारखण्ड गौरव हैं पारसनाथ यहाँ
है कलाकुंज पश्चिम बंगाल काली की पूजा बेमिसाल, पत्थर में जैसे पारस है।
पीठों पर लादे टोकरियाँ असमी अल्हड नव बालाएँ
बागान चाय के दिखते ज्यों नग की ग्रीवा में मालाएँ।
अरुणाचल सूरज से करता बातें आँखों में आँख डाल
मणिपुर भारत के वाम-हस्त शोभे बन मणियों ढली ढाल।
मेघालय मेघों का निर्झर करुणालय करुणा मूरत का बहती ममता की निर्झरिणी
मोहनी मिजोरम की छवि है चोटी-चोटी शृंगार सजी दुल्हन सी आभा राजित है।
त्रिपुरा बन त्रिपुर-सुंदरी सा सम्मोहित करता प्राण अहा!
सिक्किम ज्यों बना मुकुट शोभित कंचनजंगा के शीर्ष महा।
हैं विविध भाँति के पशु - पक्षी कूँजित ये नागालैंड भूमि
सातों बहिनें स्वागत करतीं आपस में माथा चूम-चूम।
डटकर लड़ता है जंग स्वयं सागर से रह-रह टकराता यह राज्य उड़ीसा वक्ष तान
लोहे सा साधे स्वाभिमान 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया'
करता चरितार्थ कहाबत है।
है मध्य प्रदेश दलहन नरेश खजुराहो सँग साँची स्तूप
राजस्थानी माटी पावन खेले हैं अगणित यहाँ भूप।
गुजरात की शोभा गाँधी जी कर दिया पटेल ने देश एक
ललकार शिवाजी की गुंजित महाराष्ट्र लड़ाका वीर नेक।
गोवा के बीचों की मस्ती कर्नाटक है तकनीक श्रेष्ठ तेलंगाना की काँस्य कला
आंध्रा में तिरुपति बालाजी हरते हैं सबके ही क्लेश केरल प्राकृतिक इबारत है।
चरणारबिंद में तमिलनाडु है धाम पुण्य रामेश्वरम
जाने कितनी संस्कृतियों का पुडुचेरी है अनुपम संगम।
इत अंडमान उत लक्षद्वीप वह दमन और वह दीव अहो!
दादरा औ नगर हवेली की शोभा कितनी है दिव्य कहो!
माथे पर हिमगिरि मुकुट धरे चरणों को सिंधु पखार रहा लहरों से नज़र उतार रहा
यह है देवों की जन्मभूमि बंशीवट यमुनातट नर्तन
महावीर है यही तथागत है।
©️सुकुमार सुनील