शनिवार, 30 नवंबर 2024

गीत:रिमझिम मंद फुहार तुम्हारा आश्वासन

 28-10-2024

पतझर बीच बहार, तुम्हारा आश्वासन

फूलों की बौछार, तुम्हारा आश्वासन।

तप्त शुष्क अकुलाई, प्यासी धरती पर

रिमझिम मंद फुहार, तुम्हारा आश्वासन।।


पलभर मन का साथ तुम्हारा 

या हाथों में हाथ तुम्हारा। 

दे जाता है इक जीवन सा 

मधुर नयन उत्पात तुम्हारा। 


हाँ एकाकी जीवन-वन में

घोर अँधेरे इस निर्जन में। 

है सदियों का प्यार, तुम्हारा आश्वासन।

रिमझिम मंद फुहार...


वह अनुपम अनुमान तुम्हारा 

नेह-निलय सा ध्यान तुम्हारा।

आत्मीयता से अभिसिंचित 

प्रश्रय जीवनदान तुम्हारा। 


शून्य हो गए बेबस तन में 

जग से हारे अंतर्मन में 

ऊर्जा का संचार, तुम्हारा आश्वासन।

रिमझिम मंद फुहार...


वह अनुप्राणित प्रणय तुम्हारा 

नेह विभूषित हृदय तुम्हारा। 

निर्विकार-शिशु सा निस्पृह चित्त

मृदुल मनोहर सदय तुम्हारा। 


मेरे उजड़े हुए चमन में 

या अभिशापित हृदय-विपिन में। 

जीवन का आधार, तुम्हारा आश्वासन।

रिमझिम मंद फुहार...


पावन पारस-परस तुम्हारा 

और साथ शुभ सरस तुम्हारा ।

प्रातः की झिलमिल लहरों सा

वह सम्मोहक दरस तुम्हारा। 


रेतीले तट के कण-कण में 

या जीवन के सुंदरवन में। 

ज्यों गंगा की धार, तुम्हारा आश्वासन।

रिमझिम मंद फुहार...


चाहा पावन प्यार तुम्हारा 

सुस्मित सा संसार तुम्हारा।

याकि याचना की जीवन पर

पाने को अधिकार तुम्हारा। 


मेरे हर अभिलाषी क्षण में 

अंतर्द्वंदों के हर रण में। 

जीत गया हरबार, तुम्हारा आश्वासन।

रिमझिम मंद फुहार...

©️ सुकुमार सुनील

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