सोमवार, 12 दिसंबर 2022

सजल(अब हम सभी स्वतंत्र हो गए)


दिनांक-15-08-20

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        *सजल*

समांत- अंत्र

पदांत - हो गए 

मात्राभार- 16

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सफल समूचे मंत्र हो गए

अब हम सभी स्वतंत्र हो गए 


देव मान पूजने चले थे

थाल स्वयं षड्यंत्र हो गए


खींच-तान आपाधापी है 

तन-मन सब संयंत्र हो गए 


जीवन बदल रहा है करवट

कलुषित सारे तंत्र हो गए


कुछ पौधे फल-फूल रहे हैं

कहने को गणतंत्र हो गए


उत्कोची पवनें मचलीं हैं 

स्वप्न सभी परतंत्र हो गए


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©️सुकुमार सुनील

           

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