दिनांक-15-08-20
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*सजल*
समांत- अंत्र
पदांत - हो गए
मात्राभार- 16
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सफल समूचे मंत्र हो गए
अब हम सभी स्वतंत्र हो गए
देव मान पूजने चले थे
थाल स्वयं षड्यंत्र हो गए
खींच-तान आपाधापी है
तन-मन सब संयंत्र हो गए
जीवन बदल रहा है करवट
कलुषित सारे तंत्र हो गए
कुछ पौधे फल-फूल रहे हैं
कहने को गणतंत्र हो गए
उत्कोची पवनें मचलीं हैं
स्वप्न सभी परतंत्र हो गए
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©️सुकुमार सुनील
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