*सजल*
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समांत- अल
पदांत- रखते हैं
मात्रा-भार- 16
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उर को सदा तरल रखते हैं
हम आँखों में जल रखते हैं
दया-प्रेम-करुणालय हैं हम
मन में नेह-विमल रखते हैं
सदा चले हँस-हँस काँटों पर
भले पाँव कोमल रखते हैं
सुनकर अग्नि-शमन हो जाता
वाणी में बादल रखते हैं
आज तुम्हारा शुभ हो तुमको
हम अपना मत कल रखते हैं
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©️सुकुमार सुनील
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