*सजल*
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समांत- अल
पदांत- सजल है
मात्राभार - 16
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हिंदी का निज-ग्राम सजल है
एक नया संग्राम सजल है
अपने मुँह में वाणी अपनी
अनुपम ललित-ललाम सजल है
हिंदी माँ है देवि स्वरूपा
पावन चारों धाम सजल है
समझ सको तो समझो बंधु
मुक्त विधा का नाम सजल है
यह पुष्पों का एक गुच्छ है
सौरभ यह अविराम सजल है
ग्रीष्मकाल में तरु छाया है
शीतकाल में घाम सजल है
कथ्य-शिल्प वैचित्र्य लिए है
पदिक-पदिक उद्दाम सजल है
©️ सुकुमार सुनील
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