सोमवार, 12 दिसंबर 2022

सजल (शब्द आप जो बोल रहे हैं)


   दिनांक - 24-08-2020

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          *सजल*

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समांत   - ओल

पदांत    - रहे हैं 

मात्राभार - 16

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भेद समूचा खोल रहे हैं

शब्द आप जो बोल रहे हैं


वाणी में रस है,विष भी है

सुनकर तन-मन डोल रहे हैं


लुटा कोष जग-संबंधों का

हम अपनत्व टटोल रहे हैं


सन्मुख छप्पन भोग रखे हैं 

मन मदिरा में घोल रहे हैं 


विधि सत्ता के चरण चूमती 

न्यायालय कर मोल रहे हैं


संस्कृतियों के स्रोत-बिंदु हैं

शुचिता के भूगोल रहे हैं

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           ©️सुकुमार सुनील

           

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