शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

गीत (मैं हिन्दी हूँ)

मैं गंगा की अविरल धारा
मैं सरयू हूँ   कालिन्दी  हूँ
मैं हिंदी हूँ  मैं हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ
मैं हूँ देवों की दिव्य गिरा
मैं राम-कृष्ण की वसुंधरा
मैं महावीर की जिनवाणी
मैं 'बुद्धं शरणं गच्छामी'
मैं ही श्रीजी की अधर काँति
मैं सीता माँ की बिन्दी हूँ ।मैं हिंदी हूँ 2
मैं हाला हूँ मधुशाला हूँ
मैं 'बच्चन' की मधुबाला हूँ
मैं सूरदास की दिव्य दृष्टि
मैं हूँ मीरा की प्रेम वृष्टि
तुलसी की रामचरितमानस
रविदास की चंदन चिंदी हूँ । मैं हिंदी हूँ 2.            
मैं पावन काशी की आभा
मैं हूँ वृंदावन की शोभा
मैं रामचंद्र की मौन वृत्ति
मैं हूँ कान्हाँ की किलकारी
मैं विश्वमोहिनी रसवंती
मैं रिद्धि हूँ मैं सिद्धी हूँ । मैं हिंदी हूँ 2.                  
मैं गंगा की अविरल धारा
मैं सरयू हूँ कलिन्दी हूँ
मैं हिंदी हूँ मैं हिंदी हूँ 2
  ©️ सुकुमार सुनील 

    9258704656

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर

Prashant Kumar Singh ने कहा…

अत्यंत सुंदर गीत

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