विविध बोलियाँ और भाषाएँ सबमें न्यारी प्यारी है
सहज सरल सुंदर सम्मोहक हिन्दी राजदुलारी है।
ब्रजभाषा हरियाणी बोलो या तुम राजस्थानी
अबधी बुंदेली कन्नौजी या परियों की बानी।
यही पहाड़ों के अधरों पर कल-कल स्वर धरती है
मैथिलि मगही भोजपुरी के मन में मधु भरती है।
मीत बघेली छत्तीसगढ़िया और खड़ी बोली यह
यही राम का रूप मनोहर ये कान्हा किलकारी है।
सहज सरल सुंदर सम्मोहक हिन्दी राजदुलारी है...
कश्मीरी सुषमा में घुल-मिल कश्मीरी हो जाती
यह दिल्ली के दिल में बसकर नया रुप दिखलाती ।
सजती और सँवरती है यह मैदानी भू-भाग में
और निखरती जाती जैसे तपता कुंदन आग में।
भारत के माथे की बिंदी बाॅलीवुड की जान
सपनों के भारत की स्वर्णिम स्वप्निल राजकुमारी है।
सहज सरल सुंदर सम्मोहक हिन्दी राजदुलारी है...
द्वेष भले कोई करता हो समझ सभी को आती है
नाम दक्किनी धर दक्षिण में निज परचम लहराती है।
पूर्वोत्तर क्या सिंहापुर से माॅरीशस तक फैली है
देखो मन से हिंदी माँ की चूनर बहुत रुपहली है।
सारे जग में आज हमें हिन्दी भाषी मिल जाते हैं
माँ की ममता सी सुरभित छाया अनुपम गुणकारी है।
सहज सरल सुंदर सम्मोहक हिन्दी राजदुलारी है...
©️ सुकुमार सुनील