सोमवार, 12 दिसंबर 2022

सजल (बस अब मुझे मौन भाता है)


          *सजल*

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समांत- आता 

पदांत- है

मात्राभार- 16

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बस अब मुझे मौन भाता है

और नहीं बोला जाता है 


प्रश्न प्रतीक्षारत हैं सारे

उत्तर कौन कहाँ पाता है


आत्ममुग्ध हो गए सारथी

रथ विरुदावलियाँ गाता है 


दाने-दाने को भटके जन

तीतर स्वर्ण-भस्म खाता है


लगा नारियल कर बंदर के 

झूठ सत्य पर मुस्काता है

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          ©️सुकुमार सुनील

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