कर कहीं से भी मगर आगाज़ करना सीख ले
सिर पे मेरे पैर रख परवाज़ करना सीख ले ।
लड़खड़ा न जाएँ तेरे कदम मंज़र देखकर
इसलिए मुझको नजर-अंदाज करना सीख ले ।
कल कहाँ किसने कहा कि आएगा ही आएगा
चल जो करना है अमा तू आज़ करना सीख ले ।
उड़ रहीं रँग-रंग की ये तितलियाँ उड़ने भी दे
कर सके बहती हवा पर राज करना सीखले।
मैं मयस्सर हूँ तुझे हर राह में हरएक पल
अपनी हसरत को सनम अल्फाज़ करना सीख ले ।
आ रही हैं मुश्किलें जो आएँगी हर मोड़ पर
मुश्किलों को तू उठाकर ताज करना सीख ले।
पढ़ किताबें डिग्रियां ले जिंदगी में बेशुमार
हुनर को पहले मगर हमराज़ करना सीख ले।
कीमती है जान अपनी जान से पहले मगर
वतन पर सुकुमार अपने नाज़ करना सीख ले।
©️ सुकुमार सुनील
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