निज रक्त सींच-सींच आँचल में भींच-भींच
मात सम प्राण-रस घोलती है कविता।
वर्ण-वर्ण कृष्ण सम शब्द-शब्द प्रीति रीति
रोम-रोम राधा-राधा बोलती है कविता।
सरहदों पे काल की भी आँख से मिलाके आँख
प्राण से वतन को जी तोलती है कविता।
आता है शहीद जब ओढ़ के तिरंगा मीत
हिय प्रियतमा का टटोलती है कविता।।
©️सुकुमार सुनील
3 टिप्पणियां:
Bahut khub
Ati sunder
Heart touching
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