सोमवार, 28 नवंबर 2022

गीत (बधाई में तुम्हें कुछ गीत देदूँ)

 सोचता हूँ मैं बधाई में तुम्हें कुछ गीत देदूँ

भाव शब्दों में भरूँ और युग-युगों की प्रीत देदूँ।


अग्नि की कर परिक्रमा जो आचमन तुमने लिए हैं

क्षण जो मंत्रोच्चार के संँग साथ में तुमने जिए हैं।

गाँठ जो बाँधी किसी देवांगना ने शुभ घड़ी में

वह रहे अनवरत गुँथित नेह की अनुपम लड़ी में। 


थिरकतीं हैं सुनके जिसको वेद की पावन ऋचाएं 

सुन सको तुम भी निरंतर मौन वह संगीत देदूँ।... 


कर चुके हो मगन-मन से पुष्पहारों को समर्पित

या कुँवारी माँग में शुचि अमिट वह सिंदूर अर्पित। 

धर हथेली पर हथेली ईश को साक्षी समझकर

सात वचनों का लिया जो आपने संकल्प मिलकर।


पूर्ण हों शुभकामनाएँ व्योम से उर के प्रकीर्णित

पीर पर हरएक तुमको चाहता चिर जीत देदूँ।...


चंदनी अनुभूति वाला अमर वह स्पर्श होवे

उन प्रथम संबोधनों से कल्प तक हर रात शोभे।

महकता शाश्वत रहे वह नम गुलाबों का समंदर

गाँस में गस नेह की हों अंतरों से दूर अंतर


माँगते थे अर्चनाओं में मिले इक-दूसरे को

कल्पनाओं में विचरता वह तुम्हें मनमीत देदूँ। ...

सोचता हूँ मैं बधाई में तुम्हें कुछ गीत देदूँ...

©️ सुकुमार सुनील 

6 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

बहुत बढ़िया

बेनामी ने कहा…

Awesome

बेनामी ने कहा…

पावन करती जगत को,जैसे गंगा धार।
पावन करते प्यार को ,ये पावन उद्गार।।जयहिंद माधव।

Sukumar Sunil ने कहा…

बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया मैम 🙏

Sukumar Sunil ने कहा…

बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद व आभार 🙏🙏

Sukumar Sunil ने कहा…

सादर प्रणाम गुरुवर 🙏 🙏 🙏 आपका शुभाशीष सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करे 🙏 😊 😊

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